मैं पागल बन के..
मैं पागल बनके
घूमू तेरे नैना के काले वन में,
जुल्फ घटा बन लहराए
मैं बरसा करू फिर बादल बनके।
मैं पागल बनके...
मैं फिरा करू नदियों के किनारे,
पांव तले कांटो की दो धारे,
तेरी यादों में दर्द कम पड़ जाते,
ना चुभती ये भीषण बौछारें।
मैं नीलभवन का मधुवर तड़पु
रसरहित पुष्प मुरझाया जैसे,
ये हाल है प्रियतम बिन जल सरोवर सा
ये हाल तोहे मैं समझावा कैसे?
मैं पागल बनके..
थामू हाथ, चलू उंगली पकड़ के,
कभी ख्याल रखूं तेरा मैं बड़ो सा
कभी तेरी गोदी में गिर जाऊँ बच्चा बनके।
थाम लू मैं हवा के झोंको को
चलू प्रकाश के संग मैं,
सतवर तुम, सब धन तुम
तुम्ही हो सातों रंग में।
धीमी आंच पर कोई
झुलस रहा हो धीरे धीरे,
हाल अपना भी वैसा ही पिया
जब से हुआ मैं तेरे तीरे।
मैं पागल बनके..
तेरा हो जाऊँ मैं हर पल में,
तेरे संग चलू मैं हरदम
तेरी अँखियों का काजल बनके।
मैं पागल बनके...
Aliya khan
02-Aug-2021 09:25 AM
Wah Behtareen
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